पादप हार्मोन Plant Hormones

पादप हार्मोन (Plant Hormones):


> ऑक्सिन्स की खोज सन् 1880 ई. में डार्विन ने की थी।
> यह पौधे की वृद्धि को नियंत्रित करनेवाला हार्मोन है।
> इसका निर्माण पौधे के ऊपरी हिस्सों में होता है।
> इसके प्रमुख कार्य-1. इसके कारण पौधों में शीर्ष की प्रमुखता हो जाती है और पार्श्वीय कक्षीय कलिकाओं की वृद्धि रुक जाती है। 2. यह पत्तियों का विलगन रोकता है। 3. यह खर-पतवार को नष्ट कर देता है। 4. इसके द्वारा अनिषेक फल प्राप्त किये जाते हैं। 5. यह फसलों को गिरने से बचाता है।

> इसकी खोज जापानी वैज्ञानिक कुरोसावा ने 1926 ई. में की।
> यह बौने पौधे को लम्बा कर देता है। यह फूल बनने में मदद करता है।
> यह बीजों की प्रसुप्ति भंग कर उनको अंकुरित होने के लिए प्रेरित करते हैं।
> ये काष्ठीय पौधों में एघा (Cambium) की सक्रियता को बढ़ाते हैं।
> इसके छिड़काव द्वारा वृहत आकार के फल तथा फूलों का उत्पादन किया जा सकता है।
3. साइटोकाइनिन (Cytokinins):
> इसकी खोज मिलर ने 1955 ई. में की थी, परन्तु इसका नामकरण लिथाम ने किया। यह प्राकृतिक रूप से ऑक्सिन के साथ मिलकर काम करते हैं। यह ऑक्सिन्स की उपस्थिति में कोशिका-विभाजन और विकास में मदद करता है। यह जीर्णता को रोकता है।
> यह RNA एवं प्रोटीन बनाने में सहायक हैं।

4. एबसिसिक एसिड (Abscisic acid or ABA):

> इस हार्मोन की खोज पहले 1961-65 ई. में कार्न्स एवं एडिकोट तथा बाद में वेयरिंग ने की। यह वृद्धिरोधक हार्मोन है। यह बीजों को सुषुप्तावस्था में रखता है। यह पत्तियों के विलंगन में मुख्य भूमिका निभाता है। यह पुष्पन में बाधक होता है।

5. एथिलीन (Ethylene):

> यह एकमात्र ऐसा हार्मोन है, जो गैसीय रूप में पाया जाता है।
> हार्मोन के रूप में इसे बर्ग (Burg) ने 1962 ई. में प्रमाणित किया ।
> यह फलों को पकाने में व मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि करता है। यह पत्तियों, पुष्पों व फलों के विलगन को प्रेरित करता है।

6. फ्लोरिजेन्स (Florigens):

> ये पत्ती में बनते हैं, लेकिन फूलों के खिलने में मदद करते हैं। इसलिए, इन्हें फूल खिलाने वाले हार्मोन भी कहते हैं।

7. ट्राउमैदिन (Traumatin):

> यह एक प्रकार का डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल है। इसका निर्माण घायल कोशिका में होता है, जिससे पौधे के जख्म भर जाते हैं।