मानव रक्त (HUMAN BLOOD)
रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है।
मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार (Weight) का लगभग 7% होता है।
रक्त एक क्षारीय विलयन है, जिसका pH मान 7.4 होता है।
एक वयस्क (Adult) मनुस्य में औसतन 5-6 लीटर रक्त होता है।
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 1/2 लीटर रक्त कम होता है।
रक्त में दो प्रकार के पदार्थ पाये जाते हैं -1. प्लाज्मा (Plasma) और 2. रुधिराणु (Blood Corpuscles)।
रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है।
मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार (Weight) का लगभग 7% होता है।
रक्त एक क्षारीय विलयन है, जिसका pH मान 7.4 होता है।
एक वयस्क (Adult) मनुस्य में औसतन 5-6 लीटर रक्त होता है।
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 1/2 लीटर रक्त कम होता है।
रक्त में दो प्रकार के पदार्थ पाये जाते हैं -1. प्लाज्मा (Plasma) और 2. रुधिराणु (Blood Corpuscles)।
प्लाज्मा (Plasma)
यह रक्त का अजीवित तरल भाग होता है। रक्त का लगभग 60% भाग प्लाज्मा होता है। इसका 90% भाग जल (Water), 7% भाग प्रोटीन, 0.9% लवण(Salt), और 0.1% ग्लूकोज होता है। शेष पदार्थ बहुत कम मात्रा में है।
यह रक्त का अजीवित तरल भाग होता है। रक्त का लगभग 60% भाग प्लाज्मा होता है। इसका 90% भाग जल (Water), 7% भाग प्रोटीन, 0.9% लवण(Salt), और 0.1% ग्लूकोज होता है। शेष पदार्थ बहुत कम मात्रा में है।
सेरम (Serum)
फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन यदि प्लाज्मा से निकल लिया जाये, तो शेष बचा प्लाज्मा को सेरम कहा जाता है।
फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन यदि प्लाज्मा से निकल लिया जाये, तो शेष बचा प्लाज्मा को सेरम कहा जाता है।
रुधिराणु (Blood corpuscles)
यह रक्त का शेष 40% भाग होता है। इसे तीन भागों में बाँटते हैं- 1. लाल रक्त कण (Red Blood Cell-RBC) 2.श्वेत रक्त कण (White Blood Cell-WBC) 3.रक्त बिम्बाणु (Blood platelets)।
यह रक्त का शेष 40% भाग होता है। इसे तीन भागों में बाँटते हैं- 1. लाल रक्त कण (Red Blood Cell-RBC) 2.श्वेत रक्त कण (White Blood Cell-WBC) 3.रक्त बिम्बाणु (Blood platelets)।
1. लाल रक्त कण (RBCs)-Red Blood Corpuscles or Erythrocytes)
स्तनधारियों के लाल रक्त कण उभयावतल होता हैं।
इसमें केन्द्रक नहीं होता है। अपवाद-ऊँट एवं लामा नामक स्तनधारी की RBCs में केन्द्रक पाया जाता है।
RBCs का निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में होता है। प्रोटीन, आयरन, विटामिन-B12 एवं फोलिक अम्ल RBCs के निर्माण में सहायक होते हैं।
इसका जीवनकाल 20 से 120 दिन का होता है।
इसकी मृत्यु यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) में होता है। इसलिए यकृत और प्लीहा को RBCs का कब्र कहा जाता है।
इसमें हीमोग्लोबिन होता है, जिसमें हीम (Haem) नामक रंजक (Dye) होता है। इसके कारन रक्त का रंग लाल होता है। ग्लोबिन (Globin) लौह युक्त प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन एवं कार्बनडाइऑक्साइड से संयोग करने की क्षमता रखता है।
हीमोग्लोबिन में पाया जाने वाला लौह यौगिक हीमेटिन है।
स्तनधारियों के लाल रक्त कण उभयावतल होता हैं।
इसमें केन्द्रक नहीं होता है। अपवाद-ऊँट एवं लामा नामक स्तनधारी की RBCs में केन्द्रक पाया जाता है।
RBCs का निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में होता है। प्रोटीन, आयरन, विटामिन-B12 एवं फोलिक अम्ल RBCs के निर्माण में सहायक होते हैं।
इसका जीवनकाल 20 से 120 दिन का होता है।
इसकी मृत्यु यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) में होता है। इसलिए यकृत और प्लीहा को RBCs का कब्र कहा जाता है।
इसमें हीमोग्लोबिन होता है, जिसमें हीम (Haem) नामक रंजक (Dye) होता है। इसके कारन रक्त का रंग लाल होता है। ग्लोबिन (Globin) लौह युक्त प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन एवं कार्बनडाइऑक्साइड से संयोग करने की क्षमता रखता है।
हीमोग्लोबिन में पाया जाने वाला लौह यौगिक हीमेटिन है।
RBCs का मुख्य कार्य
शरीर की हर कोशिका में ऑक्सीजन पहुँचाना एवं कार्बन डाइऑक्साइड को वापस लाना है। हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर रक्तक्षीणता (Anaemia) रोग हो जाता है। सोते वक्त RBCs 5% कम हो जाता है एवं जो लोग 4,200 मीटर की ऊँचाई पर होते हैं, उनके RBCs में 30% की वृद्धि हो जाती है। RBCs की संख्या हीमोसाइटोमीटर से ज्ञात की जाती है। नोट : थैलेसीमिया रोग में लाल रुधिराणु नहीं बनते है।
शरीर की हर कोशिका में ऑक्सीजन पहुँचाना एवं कार्बन डाइऑक्साइड को वापस लाना है। हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर रक्तक्षीणता (Anaemia) रोग हो जाता है। सोते वक्त RBCs 5% कम हो जाता है एवं जो लोग 4,200 मीटर की ऊँचाई पर होते हैं, उनके RBCs में 30% की वृद्धि हो जाती है। RBCs की संख्या हीमोसाइटोमीटर से ज्ञात की जाती है। नोट : थैलेसीमिया रोग में लाल रुधिराणु नहीं बनते है।
श्वेत रक्त कण (White Blood Corpuscles or Leucocytes-WBC)
आकार और रचना में यह अमीबा (Amoeba) के समान होता है। इसकें केन्द्रक रहता है। इसका निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow), लिम्फ नोड (Lymph Node) और कभी-कभी यकृत (Liver) एवं प्लीहा (Spleen) में भी होता है। इसका जीवनकाल 2-3 दिन का होता है। इसकी मृत्यु रक्त में ही हो जाती है। इसका मुख्य कार्य शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाना है। WBCs का सबसे अधिक भाग (60-70%) न्यूट्रोफिल्स कणिकाओं का बना होता है। न्यूट्रोफिल्स कणिकाएँ रोगाणुओं तथा जीवाणुओं का भक्षण करती है।
आकार और रचना में यह अमीबा (Amoeba) के समान होता है। इसकें केन्द्रक रहता है। इसका निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow), लिम्फ नोड (Lymph Node) और कभी-कभी यकृत (Liver) एवं प्लीहा (Spleen) में भी होता है। इसका जीवनकाल 2-3 दिन का होता है। इसकी मृत्यु रक्त में ही हो जाती है। इसका मुख्य कार्य शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाना है। WBCs का सबसे अधिक भाग (60-70%) न्यूट्रोफिल्स कणिकाओं का बना होता है। न्यूट्रोफिल्स कणिकाएँ रोगाणुओं तथा जीवाणुओं का भक्षण करती है।
रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets or Thrombocytes)
यह केवल मनुष्य एवं अन्य स्तनधारियों के रक्त में पाया जाता है। इसमें केन्द्रक नहीं होता है। इसका निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में होता है। इसका जीवन काल 3-5 दिन का होता है। इसकी मृत्यु प्लीहा (Spleen) में होती है। इसका मुख्य कार्य रक्त के थक्का बनाने में मदद करना है। नोट : डेंगू ज्वार कारण मानव शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।
यह केवल मनुष्य एवं अन्य स्तनधारियों के रक्त में पाया जाता है। इसमें केन्द्रक नहीं होता है। इसका निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में होता है। इसका जीवन काल 3-5 दिन का होता है। इसकी मृत्यु प्लीहा (Spleen) में होती है। इसका मुख्य कार्य रक्त के थक्का बनाने में मदद करना है। नोट : डेंगू ज्वार कारण मानव शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।