ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

 ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का एक सेट है जो कम्प्यूटर के संसाधनों को प्रबंधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और जिसमें कम्प्यूटर को शुरू (Start) करना।  प्रोग्रामों को मैनेज करना, मेमोरी को मैनेज करना और इनपुट तथा आउटपुट डिवाइसों के बिच के कार्यों का समन्वय करना शामिल है। 

    सर्वप्रथम जब हम कम्प्यूटर ऑन करते हैं तो हमारे मदरबोर्ड पर BIOS (Basic Input Output System) ROM चिप ढूँढ़ता है।  इसे BIOS चिप में विभिन्न एक्सपैंसन स्लॉट, पोर्ट, ड्राइव तथा ऑपरेटिंग सिस्टम के उपयोग के लिए निर्देश डाला (Burn) रहता है।  कम्प्यूटर ऑन होते ही बुट सिक्वेंस या स्टार्ट अप प्रौसेस आरंभ होता है, जिसके अंतर्गत BIOS चिप  निर्देश (Instruction) तथा प्रोगरामिंग कोड लोड करता है।  तत्पश्चात क्रम में निर्देश देता है। बाह्रा (External) तथा आतंरिक (Internal) उपकरणों (Equipment) की सूची और कई सेल्फ टेस्ट को कार्यान्वित करता है जिसे Power On Self Test कहते हैं।  कम्प्यूटर इस टेस्ट के दौरान किसी त्रुटि का पता होने पर Error Code प्रदान करता है। यह error code हार्डवेयर जैसे मेमोरी, की-बोर्ड, मॉनिटर एवं डिस्क ड्राइव्स में कोई कठिनाई आने पर देता है। 
    Power On Self Test सफलतापूर्वक समाप्त होने के पश्चात बूट स्ट्रैप की प्रक्रिया आरंभ होती है जिसे बूटिंग (Booting) कहते है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत ऑपरेटिंग सिस्टम आरंभ (Start) करता है। इस प्रिक्रिया में ऑपरेटिंग सिस्टम को कम्प्यूटर सेकेंडरी मेमोरी या ऑक्जिलरी मेमोरी से मेन मेमोरी या RAM (Random Access Memory) में लोड करता है। इन प्रिक्रिया में सारे कम्पोनेन्ट कम्प्यूटर सिस्टम से ठीक से जुड़े हैं तथा कार्य कर रहे हैं यह भी सुनिश्चित हो जाता है।